Sunday, November 4, 2012

जश्न-ऐ-ज़िंदगी


बेरंग सी ज़िंदगी में कुछ रंग भरता चलू,

राह मिली तितलियों के संग चलता चलू |

मन में चल रहें गीत को सुंदर सुर देते हुये , 

दिल की धड़कनो से संगीत लेते हुये ,

गा दूं फिर कुछ ऐसा तराना …. 

के हारी हुई बाज़ी को भी जीत के शिकंजे में लेता चलू | 

रूखी सी रातों में उम्मीद पास हैं, 

सुबह की ताजा किरणों की आस साथ हैं | 

तूफानो में भी कश्ती साहिल को चूम ले, 

बरबादीयों में भी फ़क़ीर झूम ले | 

बस कुछ ऐसा ही जज्बा संग लेते हुये, 

जश्न हैं ये ज़िंदगी … 

इस जश्न को मैं हर पल जीता चलू !! 

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